National Youth Day Celebration at BHU: बीएचयू में राष्ट्रीय युवा दिवस समारोह संपन्न
National Youth Day Celebration at BHU: स्वामी विवेकानंद के जयंती पर आयोजित समारोह के मुख्य अतिथि थे पूर्व कुलपति प्रो. गोप बंधु मिश्र
रिपोर्टः डॉ राम शंकर सिंह
वाराणसी, 12 जनवरीः National Youth Day Celebration at BHU: मालवीय मूल्य अनुशीलन केंद्र एवं अंतर सांस्कृतिक अध्ययन केंद्र के संयुक्त तत्वावधान में स्वामी विवेकानंद की जयंती के अवसर पर ‘राष्ट्रीय युवा दिवस समारोह-2024’ का आयोजन किया गया। समारोह के मुख्य अतिथि प्रो. गोपबंधु मिश्रा, पूर्व कुलपति श्री सोमनाथ संस्कृत विश्वविद्यालय, जूनागढ़, गुजरात और आचार्य, संस्कृत विभाग, काहिविवि थे।
अपने व्याख्यान में आपने कहा कि, ‘उठो, जागो और अपने लक्ष्य प्राप्ति तक मत रुको’ कहने वाले स्वामी विवेकानंद ने इस महावाक्य को मात्र कहा ही नहीं अपितु उसे अपने जीवन में भी उतारा। जहां रामकृष्ण परमहंस अनुभूति हैं और स्वामी विवेकानंद उसकी व्याख्या हैं। उन्होंने एक युवा चेतना के रूप में अपने गुरु की शिक्षाओं का सम्पूर्ण विश्व में प्रसार किया।
स्वामी के मन में शैशवकाल से ही वैराग्य का भाव था और वे अपने घर आने वाले साधुओं को घर का सामान भी दे देते थे। उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस ने उन्हें पूर्व जन्म का ऋषि बताया और देहावसान से पूर्व के मात्र पांच वर्ष के साथ में ही स्वामी विवेकानंद को अपनी समस्त शिक्षाएं और ज्ञान प्रदान किया।
प्रो. मिश्र ने आगे कहा कि स्वामी विवेकानंद ने अपने गुरु के आदेश पर माँ काली से साक्षात्कार के समय भक्ति, आत्म साक्षात्कार और कृपा मांगी न कि धन या कोई भौतिक वस्तु। स्वामी ने मनुष्य और मनुष्य में कोई भी भेद स्वीकार नहीं किया और सभी के प्रति समान भाव रखने में विश्वास किया। कन्याकुमारी में आत्म बोध के बाद स्वामी ने मनुष्य सेवा और देश सेवा कों अपना परम लक्ष्य बना लिया। उनका सभी जातियों के व्यक्तियों के प्रति समान प्रेम का भाव था।
National Youth Day Celebration at BHU: आपने आगे कहा कि, स्वामी विवेकानंद ने अमेरिका में अपना डिडिम्बघोष किया कि जिस प्रकार सभी नदियाँ अंत में समुद्र में मिल जाती हैं उसी प्रकार सभी धर्म उस परम सत्ता से साक्षात्कार का माध्यम हैं, कोई भी धर्म हेय नहीं है। साथ ही वहाँ उन्होंने भारतीय सनातन चेतन परंपरा के विभिन्न पहलुओं को विदेशी धरती पर मजबूती के साथ स्थापित किया। उन्होंने उद्घोष किया कि गर्व से कहो कि हम भारतीय हैं और समस्त भारतवासी हमारे भाई-बहन हैं। वे श्रद्धा और बुद्धि के अद्भुत मेल थे।
अतिथियों का स्वागत करते हुए मालवीय मूल्य अनुशीलन केन्द्र के समन्वयक प्रो. संजय कुमार ने कहा कि अप्रितम विद्वान, विनम्र और सहज व्यक्तित्व के धनी आचार्य गोपबंधु मिश्र का हमारे बीच होना सौभाग्य की बात है। उन्होने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने अपनी मेधा और चेतना दृष्टि से पूरे विश्व को प्रभावित किया। उनकी जितनी अपने सनातन धर्म में निष्ठा थी, उतना ही अन्य धर्मों के प्रति गहरी सहिष्णुता और सम्मान का भाव था।
कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन करते हुए अन्तर-सांस्कृतिक अध्ययन केंद्र के समन्वयक प्रो. राजकुमार ने कहा कि प्रो. गोपबंधु मिश्रा के व्याख्यान ने हम सभी के मन में स्वामी विवेकानंद को और जानने की जिज्ञासा प्रबल कर दी है। आज हमें स्वामी विवेकानंद के दरिद्रनारायन की सेवा के भाव को नए सिरे से स्थापित करने की आवश्यकता है। कार्यक्रम का संचालन डॉ. धर्मजंग ने किया। कार्यक्रम में प्रमुख रूप प्रो. अर्चना कुमार, डॉ. राजीव वर्मा, रंजीत, दिव्यान्शी, नेहा, अनन्या, रिमी एवं बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित थे।
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