Academic Session of Kashi Tamil Sangamam

Academic Session of Kashi Tamil Sangamam: काशी तमिल संगमम् के शैक्षणिक सत्र का बी एच यू मे हुआ आयोजन

रिपोर्ट: डॉ राम शंकर सिंह
वाराणसी, 04 दिसम्बर:
Academic Session of Kashi Tamil Sangamam: काशी तमिल संगमम् 4.0 के तहत बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में आयोजित शैक्षणिक सत्र में विशेषज्ञों ने इस बात पर जोर दिया कि भारत की विविधताओं में निहित समानताएँ ही हमें एक सूत्र में जोड़ती हैं और यही हमारी भारतीय पहचान का मूल आधार है। पं. ओंकारनाथ ठाकुर सभागार में हुए इस सत्र का विषय “काशी इन तमिल इमैजिनेशन: महाकवि सुब्रमण्यम भारती एंड हिज़ लेगेसी” रखा गया, जिसमें तमिलनाडु से आए 216 छात्र प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

मुख्य अतिथि अमीश त्रिपाठी ने अपने संबोधन की शुरुआत “मैं माता तमिल को प्रणाम करता हूँ” कहकर की और काशी व तमिलनाडु की सांस्कृतिक समानताओं पर विस्तार से चर्चा की। भारतीय संस्कृति विविधता का सम्मान करते हुए एकता को पोषित करती है। उन्होंने भारतीय धार्मिक परंपराओं, ऐतिहासिक प्रसंगों और सभ्यतागत एकता का उल्लेख करते हुए कहा कि हमें इस साझा विरासत को आत्मसात करना चाहिए और काशी तमिल संगमम् जैसी पहलें इस दिशा में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

वक्ता प्रो. आर. मेगनाथन (एनसीईआरटी) ने महाकवि सुब्रमण्यम भारती के जीवन, दर्शन और साहित्यिक योगदान पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने भारती के ‘शक्ति, भक्ति और ज्ञान’ पर आधारित विचारों, उनकी राष्ट्रवादी चेतना, वैश्विक दृष्टि और श्री अरबिंदो के साथ उनके वैचारिक संवाद की चर्चा की। उन्होंने “अचमिल्लै अचमिल्लै” जैसी कविताओं को उद्धृत करते हुए बताया कि भारती ने राष्ट्र की एकता और मानवता की सार्वभौमिकता को कैसे अपनी रचनाओं के केंद्र में रखा। सत्र में एनसीईआरटी द्वारा निर्मित भारती पर आधारित डॉक्यूमेंट्री तथा तमिल भाषा सीखने हेतु विकसित ट्यूटोरियल भी प्रदर्शित किया गया।

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…सत्र की अध्यक्षता करते हुए बीएचयू के कुलपति प्रो. अजित कुमार चतुर्वेदी ने कहा कि काशी तमिल संगमम् उत्तर और दक्षिण भारत के बीच संवाद और समझ को मजबूत कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारतीय राज्यों में मौजूद समानताएँ हमारी विविधता को कम नहीं करतीं, बल्कि भारतीयता को और अधिक समृद्ध बनाती हैं। कुलपति ने ‘शब्द’ नामक एआई आधारित अनुवाद उपकरण का उल्लेख करते हुए कहा कि तकनीक संवाद को और सुलभ बना रही है और केटीएस का उद्देश्य भी “एकता के विविध आयामों को पहचानना और उनका उत्सव मनाना” है।

कार्यक्रम में प्रो. पी. वी. राजीव (आईएमएस, बीएचयू) ने अतिथियों का स्वागत करते हुए काशी तमिल संगमम् की पृष्ठभूमि और बीएचयू के व्यापक शैक्षणिक व सांस्कृतिक महत्व को प्रस्तुत किया। वहीं डॉ. जगदीशन टी. ने महाकवि भारती के काशी से जुड़ाव, उनकी कृतियों, आधुनिक तमिल साहित्य में उनके योगदान और तमिल–काशी संबंधों को गहरा करने में उनकी भूमिका पर विस्तृत चर्चा की। इस अवसर पर राष्ट्रीय पुस्तक न्यास द्वारा प्रकाशित तमिल बाल पुस्तकों के अनुवाद का विमोचन कुलपति प्रो. चतुर्वेदी द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. लावण्या (आईआईटी–बीएचयू) ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. सरवन कुमार ई. (आईआईटी–बीएचयू) ने प्रस्तुत किया।

प्रतिनिधिमंडल आईआईटी– बीएचयू के फाउंडेशन में नवाचार और स्टार्टअप पारितंत्र का अवलोकन भी किया, जहाँ प्रो. मनोज कुमार मेश्राम ने ज़ोस्टेल, क्रिकबज़, शॉपक्लूज़ और क्लीन इलेक्ट्रिक जैसे स्टार्टअप उदाहरणों के माध्यम से संस्थान की उद्यमिता यात्रा को विस्तार से समझाया। प्रतिनिधियों ने आर्यो ग्रीन टेक लैब का भी भ्रमण किया और तकनीकी अनुसंधान व नवीन समाधानों को नजदीक से जाना।

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