Sunset Evening: जहां में अलग जहां: पलक साबले
Sunset Evening: डूबती हुई शाम का वो एक मंझर था,
सुनहरी सी किरणों का धरती के साथ एक संगम था|
वो बैठी हुई किनारों पर मानो अपने विचारों में कही लुप्त थी,
ये दुनिया से दूर अपनी एक अलग सी दुनियां में वो विलुप्त थी|
हवा के झोंके और पानी का यू छूकर जाने का एहसास जैसे उसके मन में कुछ सुलझा रहा था,
अपनी व्यथा से दूर अपनी मनमोहकता में वो दृश्य उसे उलझा रहा था|
किताब लिए समंदर के किनारे बैठी वो मानो उसे कुछ जवाबो की तलाश थी,
पवन का हल्का झोंका और पानी की ये चंचलता शायद ऐसे ही जवाबो की उसके दिल को भी आस थी|
उसके मन की गंभीरता को पानी की चंचलता कुछ सीखा रही थी,
अपनी व्यथा से दूर सुकून के पल जीने की राह दिखा रही थी.
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