Cultural Heritage: सांस्कृतिक विरासत को सहेजने का अद्भुत अभियान है काशी का ज्ञान प्रवाह केंद्र
Cultural Heritage: संग्रहालय का भ्रमण करते हुये अधिकारियों ने पांडुलिपियों, ताम्रपत्रों एवं सिक्कों व अन्य विरल संग्रहों का किया सूक्ष्म अवलोकन
- मण्डलायुक्त व जिलाधिकारी पहुंचे ज्ञान-प्रवाह

रिपोर्ट: डॉ राम शंकर सिंह
वाराणसी, 13 जून: Cultural Heritage: सामने घाट स्थित ज्ञान प्रवाह केंद्र की ख्याति वैश्विक स्तर पर हो गयी है. माँ गंगा के सुरम्य तट पर लगभग तीन दशक पूर्व इसकी स्थापना कला प्रेमी विमला पोद्दार ने की थी. इस केंद्र को सांस्कृतिक विरासत के रूप मे सजाने, एवं विकसित करने मे, संस्थापक निदेशक ख्याति प्राप्त पुरातत्वविद प्रो आर सी गुप्ता का विशिष्ट योगदान रहा है.
भारत कला भवन, बी एच यू के पूर्व निदेशक प्रो गुप्ता ने विमला पोद्दार द्वारा रोपित सांस्कृतिक बीज को पुष्पित पल्लवित कर एक बट वृक्ष का आकार दिया. सांस्कृतिक अध्ययन एवं शोध केंद्र के रूप मे ज्ञान प्रवाह की ख्याति अब विश्व स्तर पर हो गयी है.
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मंडलायुक्त एस. राजलिंगम तथा जिलाधिकारी सत्येन्द्र कुमार ने सामने घाट स्थित सांस्कृतिक अध्ययन एवं शोध केन्द्र ज्ञान-प्रवाह का भ्रमण किया। संग्रहालय का भ्रमण करते हुये दोनों अधिकारियों ने ताम्रपत्रों एवं सिक्कों में अत्यधिक रुचि दिखाते हुये यहाँ प्रदर्शित विरल संग्रह की प्रशंसा की।
संस्था के पुस्तकालय में संरक्षित कुछ दुर्लभ पाण्डुलिपियों को देखने के बाद दोनों ने ज्ञान-प्रवाह द्वारा किये जाने वाले प्रयासों पर अपनी प्रसन्नता व्यक्त की। सम्पूर्ण परिसर का भ्रमण करते हुये उन्होंने यज्ञशाला के भी दर्शन किये और इसके बारे में ज्ञान-प्रवाह के कार्यकारी प्रशासक ललित कुमार तथा सहायक निदेशक डॉ. नीरज कुमार पाण्डेय से पूरी जानकारी प्राप्त की।
मण्डलायुक्त ने संस्था की जरूरतों हेतु प्रशासन को अवगत कराने को कहा ताकि संस्था को उचित मदद मुहैय्या करायी जा सके। ज्ञान-प्रवाह स्थित शिल्पशाला के समन्वयक डॉ. प्रमोद गिरि ने यहाँ निर्मित अष्टधातु की मूर्तियों एवं अन्य हस्त-निर्मित वस्तुओं के निर्माण की सम्पूर्ण प्रक्रिया से मंडलायुक्त और जिलाधिकारी को अवगत कराया। दोनों अधिकारियों ने प्राचीन कला के संरक्षण के लिये संस्था द्वारा किये जाने वाले प्रयासों की मुक्त कण्ठ से सराहना करते हुये अपनी शुभकामनायें प्रेषित की।
इस अवसर पर डीसीपी काशी गौरव वंशवाल व एडीसीपी सरवनन टी के अलावा ज्ञान-प्रवाह के सहायक निदेशक डॉ. चन्द्रनील शर्मा, पुस्तकालयाध्यक्ष,अनिरुद्ध घाणेकर के अतिरिक्त सुमित चक्रवर्ती, महेश यादव, आनन्द सिंह, आशीष समाधिया, डॉ. मिन्टू सन्यासी, पुष्पा उपाध्याय, इत्यादि उपस्थित रहे।
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