Challenges and Prospects: समावेशी विकास की चुनौतियाँ और संभावनाएँ का सफल आयोजन संपन्न
Challenges and Prospects: राष्ट्रीय संगोष्ठी “भारत के विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (PVTGs): समावेशी विकास की चुनौतियाँ और संभावनाएँ” का सफल आयोजन संपन्न

Challenges and Prospects: दिनांक 29-30 अप्रैल 2025 को के. के. एम. कॉलेज, पाकुड़ (एसकेएम विश्वविद्यालय, दुमका) एवं डॉ. भीमराव अंबेडकर कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का भव्य आयोजन सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। संगोष्ठी का विषय था- “भारत के विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (PVTGs): समावेशी विकास की चुनौतियाँ और संभावनाएँ”।
यह आयोजन इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंस रिसर्च (ICSSR), नई दिल्ली के वित्तीय सहयोग से सम्पन्न हुआ। संगोष्ठी का उद्देश्य PVTGs के सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और राजनीतिक सरोकारों पर एक समावेशी और नीतिपरक संवाद स्थापित करना था। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता एसकेएम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बिमल प्रसाद सिंह ने की। इस अवसर पर पद्मश्री श्रीमती चामी मुर्मू ने मुख्य वक्ता के रूप में PVTGs के जीवन की जमीनी चुनौतियों और उनके पारंपरिक अधिकारों की रक्षा की आवश्यकता पर गंभीर विचार प्रस्तुत किए।
कार्यक्रम के संयोजक डॉ. युगल झा, प्राचार्य, के. के. एम. कॉलेज, ने संगोष्ठी की रूपरेखा, विषयवस्तु और विविध सत्रों का परिचय देते हुए कार्यक्रम की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डाला। विशिष्ट अतिथियों में प्रो. सदानंद प्रसाद, प्राचार्य, डॉ. भीमराव अंबेडकर कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय; प्रो. पामेला सिंगला (दिल्ली विश्वविद्यालय); डॉ. जैनेंद्र यादव (सिदो-कान्हु मुर्मू विश्वविद्यालय) और श्रीमती प्रमोदिनी हेम्ब्रम (झारखंड) ने भी अपने विचार साझा किए।
इस दो दिवसीय संगोष्ठी में दिल्ली विश्वविद्यालय, नेशनल लॉ स्कूल (बेंगलुरु), इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय (अमरकंटक), महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय (प्रयागराज), विश्वभारती (शांतिनिकेतन) सहित देश के विभिन्न प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों एवं संस्थानों के 50 से अधिक प्राध्यापकों, शोधकर्ताओं एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया और विषय-सामयिक शोधपत्र प्रस्तुत किए।
प्रो.बिष्णु मोहन दाश, प्रो. सुजीत कुमार, प्रो. चिंतरंजन सुबूधी एवं कुमार सत्यम सहित कई प्राध्यापकों ने आदिवासी नीति-निर्माण की दिशा में संगोष्ठी को मूल्यवान विचारों से समृद्ध किया। समापन सत्र में प्रो. सदानंद प्रसाद, डॉ. युगल झा, एवं के. के. एम. कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ. शिवप्रसाद लोहरा की गरिमामयी उपस्थिति रही।
संगोष्ठी की संक्षिप्त रिपोर्ट प्रो. बिष्णु मोहन दाश द्वारा प्रस्तुत की गई। धन्यवाद ज्ञापन संगोष्ठी के समन्वयक कुमार सत्यम द्वारा किया गया। सत्रों का संचालन डॉ. मनोहर कुमार, डॉ. शकुंतला मुंडा, डॉ. स्वीटी मरांडी, डॉ. अंशु, डॉ. जोयना, डॉ. सुशीला हंसदा, डॉ. सोमी अली एवं डॉ. अविनाश तिवारी ने अत्यंत व्यवस्थित एवं प्रभावशाली ढंग से किया। अचिंतों सहित के. के. एम. कॉलेज के समस्त कर्मचारियों ने आयोजन की सफलता में अहम भूमिका निभाई।
सांस्कृतिक संध्या में स्थानीय जनजातीय लोक नृत्य एवं गीतों की मनोहारी प्रस्तुतियों ने प्रतिभागियों को संथाली संस्कृति से साक्षात्कार का अवसर दिया, जिसने संगोष्ठी को एक सांस्कृतिक गहराई प्रदान की। यह संगोष्ठी न केवल अकादमिक विमर्श का एक सशक्त मंच बनी, बल्कि PVTGs के अधिकार, विकास और सशक्तिकरण के क्षेत्र में नीति-निर्धारण की दिशा में एक उल्लेखनीय पहल के रूप में चिह्नित की जा रही है। आयोजकों ने भविष्य में भी इस प्रकार के संवादात्मक आयोजनों को निरंतर जारी रखने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।
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