IIT-BHU: आईआईटी बीएचयू में शहरी नदियों के पुनर्जीवन पर तकनीकी मंथन
- यू पी मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने स्नातक और परास्नातक श्रेणी के तीन-तीन विजेताओं को किया पुरस्कृत
- कार्यक्रम में थीसिस प्रतियोगिता के तीसरे संस्करण का भी हुआ शुभारंभ
IIT-BHU: नमामि गंगे और एन आई यू ए के सहयोग से दो दिवसीय कार्यक्रम में ’शहरी नदियों की फिर से कल्पना’ के थीसिस प्रतियोगिता सीजन दो के विजेताओं की घोषणा
रिपोर्टः डॉ राम शंकर सिंह
वाराणसी, 30 जुलाई: IIT-BHU: उपभोक्ता वादी संस्कृति के कारण नालों में तब्दील होती नदियों के पुनर्जीवन पर एक सार्थक कार्यक्रम का आयोजन काशी में शुरू हुआ। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय) स्थित वास्तुकला, योजना एवं अभिकल्प विभाग के तत्वावधान में नेशनल इस्टीट्यूट आफ अर्बन अफेयर्स और नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा द्वारा आयोजित ’री-इमेजिनिंग अर्बन रिवर’ पर दो दिवसीय थीसिस प्रतियोगिता प्रारंभ हुआ। सीजन-2 के फाइनल समारोह के मुख्य अतिथि उत्तरप्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र थे।

छात्रों द्वारा शोध प्रस्तुतियों के बाद मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने स्नातक और परास्नातक श्रेणी में क्रमशः तीन विजेताओं को सम्मानित किया। इसमें स्नातक श्रेणी में योजना तथा वास्तुकला विद्यालय, दिल्ली की रूपल श्रीवास्तव को प्रथम, योजना तथा वास्तुकला विद्यालय, भोपाल के उज्ज्वल सिंह को द्वितीय और तृतीय स्थान पर संयुक्त रूप से डॉ भानुबेन नानावती कॉलेज ऑफ आर्किटेक्चर, पुणे की मोहिनी विकास भोसेकर और एनआईटी श्रीनगर के मुबशिर अर्शिद को पुरस्कृत किया गया।
परास्नातक श्रेणी में एनआईटी कालीकट की अरूणिमा केटी को प्रथम, आईआईटी खड़गपुर की करपागवल्ली एस को द्वितीय और योजना एवं वास्तुकला विद्यालय, दिल्ली की साक्षी सिंह को तृतीय पुरस्कार मिला। दो दिनों के निर्णायक मंडल के सदस्यों को वाराणसी के मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल ने सम्मानित किया। प्रतियोगिता में शामिल सभी 20 छात्रों को आईआईटी (बीएचयू) के निदेशक प्रोफेसर प्रमोद कुमार जैन और एनआईयूए के निदेशक हितेश वैद्य ने प्रमाण पत्र वितरित किया।
इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए मुख्य अतिथि दुर्गा शंकर मिश्रा ने शहरी जल निकायों की फिर से कल्पना करने के महत्व पर जोर दिया। आपने छात्र थीसिस प्रतियोगिता के तीसरे सत्र को ’शहरी जल निकायों की पुनर्कल्पना’ के विषय पर करने का सुझाव दिया। उन्होंने आजीविका, मनोरंजन, पर्यटन के लिए संभावित शहरी जल निकायों की उपयोगिता पर विस्तार से प्रकाश डाला।
प्रारंभ में मुख्य अतिथि द्वारा महामना मालवीय की प्रतिमा पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलित किया गया। राजीव रंजन मिश्रा (मुख्य तकनीकी सलाहकार, एनआईयूए) द्वारा संबोधन और प्रोफेसर प्रमोद कुमार जैन (निदेशक, आईआईटी (बीएचयू) का स्वागत किया। सत्र का उद्घाटन दीपक अग्रवाल (मंडलायुक्त, वाराणसी) संबोधन द्वारा हुआ। हितेश वैद्य (निदेशक, एनआईयूए) ने मुख्य अतिथि को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।
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दो दिवसीय कार्यक्रम के दौरान, स्नातक और परास्नातक के 20 छात्रों ने अपने थीसिस वर्क को प्रस्तुत किया। इन विषयों में शहरी नियोजन में नदी की सोच को एकीकृत करने से लेकर नदी प्रबंधन के लिए आदिवासियों को शामिल करने, नदी-केंद्रित पारगमन-उन्मुख विकास को विकसित करने, नदी के पानी की गुणवत्ता का पूर्वानुमान लगाने के लिए, मशीन लर्निंग का उपयोग करने तक शामिल हैं।
निर्णायक समिति के एक पैनल द्वारा मूल्यांकन किए गए छात्रों की प्रस्तुति में राजीव रंजन मिश्रा (पूर्व महानिदेशक, एनएमसीजी), एस विश्वनाथ (निदेशक, बायोम पर्यावरण समाधान), प्रोफेसर गौरव रहेजा (प्रमुख और प्रोफेसर, वास्तुकला और योजना विभाग, आईआईटी रुड़की) और डॉ अमृता द्विवेदी (सहायक प्रोफेसर, मानवतावादी अध्ययन विभाग, आईआईटी (बीएचयू) वाराणसी) शामिल रहीं।
समापन अवसर पर डाइरेक्टर जनरल, एनएमसीजी जी. अशोक कुमार एवं डी. थारा, मिशन डाइरेक्टर, एएमआरयूटी 2.0 ऑनलाइन तौर पर एवं संयुक्त सचिव, मंडलायुक्त वाराणसी दीपक अग्रवाल, एनएमसीजी के कार्यकारी निदेशक (परियोजना) हिमांशु बडोनी आदि उपस्थित रहे।
इस अवसर पर आईआईटी (बीएचयू) के निदेशक प्रोफेसर प्रमोद कुमार जैन एवं मुख्य अतिथियों द्वारा एनआईयूए द्वारा प्रकाशित अर्बन इंडिया जर्नल (वॉल्यूम 41) के एक विशेष अंक का विमोचन किया गया। इसमें छात्र थीसिस प्रतियोगिता के पहले सत्र से परियोजनाओं में से उभरने वाले 6 शोध पत्रों का संकलन किया गया है।
मुख्य सचिव द्वारा छात्र थीसिस प्रतियोगिता के सीजन-3 का शुभारंभ किया गया। प्रतियोगिता देश भर में किसी भी विषय के स्नातक और परास्नातक छात्रों के लिए खुली है। यह प्रतियोगिता शहरों में नदी-संवेदनशील विकास को बढ़ावा देने वाले अभिनव समाधानों के साथ आने का अवसर प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
इस अवसर पर हिमांशु बडोनी ने भी विचार व्यक्त किये। अंत में धन्यवाद ज्ञापन संस्थान के वास्तुकला, योजना एवम् अभिकल्प विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर राजेश कुमार ने दिया।