Ticket checking staff counseling: वर्दी में देवदूत टिकट चेकिंग स्टाफ, खोये और घर से भागे बच्चों को पुनः परिवारों से मिलाया
Ticket checking staff counseling: ऐसे कई उदाहरण हैं जहां टिकट चेकिंग स्टाफ ने एक मानवीय पक्ष प्रदर्शित किया है, जानें…
मुंबई, 27 अगस्तः Ticket checking staff counseling: टिकट चेकिंग स्टाफ भारतीय रेल के उन फ्रंटलाइन स्टाफ में से एक है जो यात्रियों के सीधे संपर्क में रहते हैं। उन्हें मुख्य रूप से यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है कि यात्री उचित टिकट के साथ यात्रा करें और रेलवे नियमों का उल्लंघन करने वालों को दंडित करने का अधिकार भी दिया गया है। इसके अलावा, उनसे मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों में यात्रा टिकट निरीक्षकों के रूप में और स्टेशनों और उपनगरीय ट्रेनों में गहन जांच दल के हिस्से के रूप में वास्तविक यात्रियों की जरूरतों को पूरा करने की भी उम्मीद की जाती है।

मुंबई मंडल पर टिकट चेकिंग का कार्य अधिक चुनौतीपूर्ण है क्योंकि चेकिंग गतिविधि उपनगरीय ट्रेनों और स्टेशनों पर व्यस्त समय के दौरान आयोजित की जानी चाहिए और टिकट चेकिंग स्टाफ के कर्तव्यों के लिए उन्हें अनुशासित और सख्त होना पड़ता है। इसके बावजूद ऐसे कई उदाहरण हैं जहां टिकट चेकिंग स्टाफ ने एक मानवीय पक्ष प्रदर्शित किया है और कई घर से भागे हुए/खोए हुए बच्चों को उनके परिवारों के साथ पुनः मिलाने में मदद करने के लिए अपने कर्तव्यों से परे जाकर कार्य किया है।
18 अगस्त को सुनील कुमार यादव, वरिष्ठ टिकट परीक्षक ने कल्याण स्टेशन पर दो बच्चों का पता लगाया, जो घर से भाग गए थे। बच्चों की काउंसलिंग कर उन्हें चाइल्ड केयर सेंटर कल्याण को सौंप दिया गया। 11 अगस्त को प्रधान टिकट परीक्षक जितेंद्र मीना ने घाटकोपर में एक छोटे बच्चे का पता लगाया, जो खो गया था। उसकी देखभाल की गई और काउंसलिंग कर उसे सुरक्षित रूप से उसके भाई को सौंप दिया गया, जिसे बुलाया गया था।
4 अगस्त को टिकट चेकिंग कर्मी पी पी लाड और दीपक पाटिल को दादर स्टेशन पर हावड़ा-सीएसएमटी मेल में दो नाबालिग लड़कियों का पता चला, जो घर से भाग गई थीं। उनकी काउंसलिंग कर उन्हें चाइल्ड केयर सेंटर को सौंप दिया गया। अगस्त-2022 के माह में खोये हुए/घर से भागे हुए बच्चों को फिर से उनके परिवार से मिलाने के कुल 8 मामले पकड़े गये तथा अप्रैल से अगस्त-2022 की अवधि के दौरान कुल 16 प्रकरण दर्ज किये गये।
ये वे बच्चे हैं जो किसी लड़ाई या कुछ पारिवारिक वजह के कारण या बेहतर जीवन की तलाश में या शहर के ग्लैमर आदि के लालच में अपने परिवार को बिना बताए रेलवे स्टेशन पर आते हैं। इन बच्चों का पता चलने पर टिकट चेकिंग स्टाफ द्वारा धैर्यपूर्वक इनकी काउंसलिंग की जाती है तथा उनके परिवारों की जानकारी प्राप्त की जाती है जिससे उन्हें उनके माता-पिता या रिश्तेदारों आदि का पता लगाने में मदद मिलती है और उन्हें ड्यूटी पर तैनात आरपीएफ की मदद से चाइल्ड केयर सेंटर को सौंप दिया जाता है।
कई माता-पिता रेलवे की इस नेक सेवा के लिए अपनी गहरी कृतज्ञता और आभार व्यक्त करते हैं। यदि भागे हुए/खोये हुए बच्चों का ऐसा कोई मामला मिलता है, तो यात्रियों से अनुरोध है कि कृपया ऑन-ड्यूटी टिकट चेकिंग स्टाफ, आरपीएफ, स्टेशन मास्टर को सूचित करें या हेल्पलाइन नंबर 1098 चाइल्ड केयर सेंटर से संपर्क करें और बच्चों को उनके परिवारों से मिलाने में मदद करें।
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