Varanasi illegal sand mining: वाराणसी में अवैध खनन पर राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के आदेश से मचा हड़कंप
- एनजीटी नें नमामि गंगे, राज्य प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड, राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण तथा जिलाधिकारी, वाराणसी सहित चार सदस्यीय संयुक्त जाँच दल का किया गठन
Varanasi illegal sand mining: वाराणसी में गंगा नदी के उस पार अवैध बालू खनन की जाँच को लेकर चार सदस्यीय संयुक्त जाँच दल का गठन
रिपोर्ट: डॉ राम शंकर सिंह
वाराणसी, 22 फरवरी: Varanasi illegal sand mining: गंगा में हो रहे अवैध बालू खनन (Varanasi illegal sand mining) पर राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने गंभीरता दिखाते हुए जांचदल गठित कर दिया है। इस आदेश से एक ओर जहाँ भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियो, कर्मचारियों और खनन ठेकेदारों में हड़कंप मचा है, वहीं दूसरी ओर गंगा प्रेमियों ने आदेश की सराहना की है। वाराणसी में असि घाट से लेकर राजघाट तक गंगा उसपार अवैध बालू खनन के मामले को गंभीर मानते हुए राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) नें सोमवार को विस्तृत अंतरिम आदेश जारी किया।
प्रधान पीठ, राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी), नई दिल्ली की कोर्ट नंबर-II में न्यायमूर्ति ब्रिजेश सेठ्ठी की अगुवाई वाली दो सदस्यीय पीठ ने वाराणसी में असि घाट से लेकर राजघाट तक गंगा उसपार अवैध खनन के मामले में जाँच हेतु नमामि गंगे, राज्य प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड, राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण तथा जिलाधिकारी, वाराणसी सहित चार सदस्यीय संयुक्त जाँच दल का किया गठन किया है।
एनजीटी नें संयुक्त जाँच-दल को चार सप्ताह के अंदर गंगा बालू खनन (Varanasi illegal sand mining) स्थल पर पहुंच कर जाँच करने को कहा है तथा संयुक्त जाँच-दल को तीन महीने के अंदर कार्रवाई प्रतिवेदन (एक्शन टेकेन रिपोर्ट) सौंपनें का आदेश दिया है। गौरतलब है की सामाजिक कार्यकर्ता अवधेश दीक्षित नें एनजीटी के समक्ष स्थानीय निवासी सह इलाहाबाद उच्च न्यायालय अधिवक्ता, सौरभ तिवारी के माध्यम से वाराणसी में गंगा नदी में अवैध बालू खनन को लेकर याचिका दायर किया था, जिसपर गत 17 फरवरी को न्यायमूर्ति ब्रिजेश सेठ्ठी तथा अन्य सदस्य पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ. अफरोज अहमद की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष सुनवाई हुई थी।
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सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति ब्रिजेश सेठ्ठी नें कड़ा रुख अख्तियार किया था। याचिकाकर्ता की ओर से एनजीटी के समक्ष दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि स्थानीय प्रशासन की मिलीभगत से गंगा में अवैध बालू खनन सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश- “दीपक कुमार बनाम हरियाणा सरकार व अन्य” तथा एनजीटी द्वारा जारी गाईडलाईन के विरुद्ध किया जा रहा है। याचिका में इस बात का स्पष्ट उल्लेख है की बगैर जिला सर्वे रिपोर्ट तथा पर्यावरण प्रभाव आकलन के ही खनन का आदेश दिया गया है तथा याचिकाकर्ता ने अपनीं याचिका में इस बात का उल्लेख भी किया है कि बगैर सीसीटीवी कैमरा, बगैर नियमित पुलिस पेट्रोलिंग तथा बगैर सीमांकन के धडल्ले से बालू खनन हो रहा है।
इतना ही नहीं खनन विभाग के पास खनन का न हीं आंकलन है और न हीं आजतक नियमित रुप से खनन रिपोर्ट जिलाधिकारी, वाराणसी के पास भेजा गया। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सौरभ तिवारी के मुताबिक जिलाधिकारी वाराणसी द्वारा टेंडर गंगा नदी में बनाए गये नहर से निकले ड्रेज्ड मैटिरियल (बालू) के उठान के लिए था; जब गंगा नदी में पिछले वर्ष आयी बाढ़ में नहर और बालू समतल हो गया फिर खनन किस बात का?… एनजीटी नें मामले में अगली सुनवाई 27 मई को तय की गई है। याचिकाकर्ता डॉ अवधेश दीक्षित एवं अधिवता सौरभ तिवारी ने एनजीटी के आदेश का स्वागत किया है।


