Mushayara 2

Kavya Sammelan Rajpur: ज़िक्रे शहीदाने कर्बला मुसालमे का आयोजन..

Kavya Sammelan Rajpur: “तू पहरा लगाना पानी पर वो प्यास गवारा कर लेंगे, वो सब्र के मालिक है खुद ही दरिया से किनारा कर लेंगे”। (शादाब आफरीदी)

राजपुर (बड़वानी)…Kavya Sammelan Rajpur: मुहिब्बाने अहले बैत राजपुर की ओर से ज़िक्रे शहीदाने कर्बला (यादे इमामे हुसैन) शीर्षक से एक अज़ीमुश्शान मुसालमे (काव्य सम्मेलन) का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता उस्ताद शायर का़दिर ह़नफी़ ने की और संचालन खरगोन के मशहूर शायर क़यामुद्दीन क़याम ने किया। कार्यक्रम में राजपुर के अलावा सेंधवा, पलसूद, जुलवानिया, ओझर, और बड़वानी से आए श्रोता बारिश के बावजूद बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। वसीम अकरम शैख ने नाते पढ़कर कार्यक्रम का आगाज किया।

शायर क़यामुद्दीन क़याम ने पढ़ा “हुसैन इब्ने अली अपनी जबीं पे जब से लिखा है, मुझे गैरों के आगे सर झुकाने ही नहीं देता”
उस्ताद का़दिर ह़नफी़ ने अपने कलाम में पढ़ा ” ग़मे हुसैन को जिसने बसा लिया दिल में, बसर सुकून से उसकी हयात होती है”।
जोबट के शायर शादाब आफ़रीदी ने अपने कलाम में कहा ” तू पहरा लगाना पानी पर वो प्यास गवारा कर लेंगे, वो सब्र के मालिक है खुद ही दरिया से किनारा कर लेंगे”।
महेश्वर के शायर जा़हिद शाह जा़हिद ने अपने अशआर पढ़ते हुए कहा ” शहीद मर्जि़ए हक़ पर है ज़रा ग़म ना कर, कु़रआन कहता है ज़िंदों का तू मातम ना कर”।
बड़वानी के शायर आरिफ़ अह़मद आरिफ़ ने कहा “दिखला रही है रंग शहादत हुसैन की, इस्लाम को हासिल है मुहब्बत हुसैन की” स्थानिय शायर
रिज़वान अली रिज़वान ने शेर सुनाया “ये देखने के लिए किस में कितनी रौशनी है, चराग़ जितने थे सारे बुझा दिए शह ने”।
वाजिद हुसैन साहिल ने शेर पढ़ा “हुसैन क्या है ये पूछे कोई तो कह देना, इस आईने से तो पत्थर ने मात खाई है” ।
वसीम अकरम शैख़ ने अपने कलाम मैं सुनाया” सुन लिया है कर्बला का ज़िक्र जिसने भी ‘वसीम’, उसकी नस्लों के दिलों से बुज़दिली जाती रही”।

Kavya Sammelan Rajpur

फैजा़न शैख़ कै़स ने शेर सुनाया ” ग़मे हुसैन में रोते हैं इसलिए हम लोग, इसी सबब से तो मेहशर में मुस्कुराएंगे”।
इस्लामुद्दीन हैदर ने पढ़ा ” हुसैन इब्ने अली का हक़ से सौदा हो तो ऐसा हो, बहत्तर दे दिए कर्बल में वादा हो तो ऐसा हो”।
शुजाउद्दीन शाह ने शेर सुनाया ” ऐ हुरमला तू खौफज़दा इसलिए हुआ, असग़र की ऐड़ियों से ना चश्मा उबल पड़े”।
कार्यक्रम में सयैयद लुकमान अली बाबा, सैय्यद आबिद अली, इस्माइल शैख सदर, मकसूद अली सय्यद, मलिक शैख, रज्जू भाई, जफर खान, आसिम हनफी आदि का विशेष सहयोग रहा।

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