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National seminar: पाठ्यक्रम का हिस्‍सा बने पंचायत : राम बहादुर राय

National seminar: सर्वोदय, अंत्‍योदय और ग्रामोदय के विचार को आगे ले जाने के लिए नानाजी देशमुख और जयप्रकाश नारायण के विचार प्रासंगिक हैं: कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्‍ल


वर्धा, 12 अक्‍टूबर: National seminar; भारत के लब्‍ध प्रतिष्ठित पत्रकार, इंदिरा गांधी राष्‍ट्रीय कला केंद्र, नई दिल्‍ली के अध्‍यक्ष पद्मश्री राम बहादुर राय ने कहा कि ग्रामीण विकास को गति देने के लिए पंचायतों को पाठ्यक्रमों में शामिल करना चाहिए। वे महात्‍मा गांधी अंतरराष्‍ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय में भारतीय समाज कार्य दिवस के अवसर पर ‘भारत के नवनिर्माण के विचार और प्रयोग : राष्‍ट्रऋषि नानाजी देशमुख एवं लोकनायक जयप्रकाश नारायण’ विषय पर तरंगाधारित राष्‍ट्रीय संगोष्‍ठी में विशिष्‍ट अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे।

National seminar: राम बहादुर राय ने नानाजी देशमुख और जयप्रकाश नारायण के जीवन के विविध प्रसंगों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि नानाजी देशमुख कल्‍पनाओं के महासागर थे। उनका मूल पिंड राजनीतिक था। उन्‍होंने जीवन की समस्‍याओं को कम करने में अपना पसीना बहाया। नानाजी ने काम करते हुए प्रयोग करो और सीखो का मंत्र दिया और इसके अनुसार उन्‍होंने दीन दयाल शोध संस्‍थान का निर्माण कर स्‍वावलंबन का अनोखा प्रयोग किया। नानाजी ने विवाद मुक्‍त गांव कार्यक्रम चलाकर पांच सौ से अधिक गावों को विवाद मुक्‍त किया। उन्होंने कहा कि राष्‍ट्रऋषि नानाजी देशमुख और लोकनायक जयप्रकाश नारायण भारत में रचनात्‍मक कार्यों के पथप्रदर्शक हैं।

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संगोष्‍ठी में केंद्रीय उपभोक्‍ता मामले, खाद्य एवं जनवितरण, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के राज्‍यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने जयप्रकाश नारायण के संस्‍मरणों को उद्धृत करते हुए कहा कि जयप्रकाश नारायण मूलत: क्रांतिकारी थे। वे अपने आप में एक संस्‍थान थे। उनके आंदोलन से छात्र आंदोलन को एक नई दिशा मिली। उनके विचार आनेवाली पीढ़ी के लिए मार्गदर्शन का काम करेंगे। जयप्रकाश नारायण ने व्‍यक्ति और समाज को बदलने के लिए संपूर्ण क्रांति का नारा दिया और परिवर्तन की अलख जगायी।

हर गांव और व्‍यक्ति तक उनके आंदोलन का असर हुआ। केंद्रीय मंत्री चौबे ने कहा कि जयप्रकाश नारायण और नानाजी देशमुख ने समाजनीति को आगे बढ़ाया और अंतिम व्‍यक्ति की चिंता की।

कार्यक्रम की अध्‍यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्‍ल ने कहा कि सर्वोदय, अंत्‍योदय और ग्रामोदय के विचार को आगे ले जाने के लिए नानाजी देशमुख और जयप्रकाश नारायण के विचार प्रासंगिक हैं। नानाजी के द्वारा किये गये प्रयोगों को समाजकार्य में लाना आवश्‍यक है। कुलपति प्रो. शुक्‍ल ने कहा कि भारत के जीवन का केंद्र ग्राम पंचायतें है और इसमें परिवर्तन के लिए विमर्श, चर्चा और संवाद प्रभावी रास्‍ता है।

उन्‍होंने कहा कि समाज के मानस में परिवर्तन की आवश्‍यकता है और इसमें विश्‍वविद्यालय की महत्‍वपूर्ण भूमिका है। राजसत्‍ता और सामाजिक परिवर्तन साथ-साथ चलें। उनमें सामंजस्‍य बने तभी सशक्‍त भारत का सपना पूरा होगा।

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स्वागत वक्‍तव्‍य जनसंचार विभाग के अध्‍यक्ष प्रो. कृपाशंकर चौबे ने दिया। समाज कार्य के देशज अनुप्रयोगों का निष्‍कर्ष एवं कार्यक्रम की प्रस्‍तावना महात्‍मा गांधी फ्यूजी गुरुजी सामाजिक कार्य अध्‍ययन केंद्र के निदेशक प्रो. मनोज कुमार ने रखी। कार्यक्रम का संचालन महात्‍मा गांधी फ्यूजी गुरुजी सामाजिक कार्य अध्‍ययन केंद्र के सह-आचार्य डॉ. के. बालराजु ने किया तथा धन्‍यवाद संस्‍कृति विद्यापीठ के अधिष्‍ठाता प्रो. नृपेंद्र प्रसाद मोदी ने ज्ञापित किया। राष्‍ट्रगीत के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया।

संगोष्‍ठी का प्रथम सत्र कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्‍ल की अध्‍यक्षता में सम्‍पन्‍न हुआ। इस सत्र में भारतीय समाज कार्य दिवस की पृष्ठभूमि पर इंदिरा गांधी राष्‍ट्रीय मुक्‍त विश्‍वविद्यालय, नई दिल्‍ली के ग्रामीण विकास विभाग के सह-आचार्य डॉ. विष्‍णु मोहन दास ने अपने विचार रखे। इस अवसर पर चित्रकूट के अभय महाजन और कनेरी मठ के स्‍वामी काडसिद्देश्‍वर महाराज ने देशज अनुप्रयोगों को लेकर संबोधित किया।

कार्यक्रम का स्‍वागत वक्‍तव्‍य महात्‍मा गांधी फ्यूजी गुरुजी सामाजिक कार्य अध्‍ययन केंद्र के सहायक आचार्य डॉ. शिव सिंह बघेल ने दिया। कार्यक्रम का संचालन सहायक आचार्य डॉ. मिथिलेश कुमार ने किया तथा धन्‍यवाद केंद्र के निदेशक प्रो. मनोज कुमार ने ज्ञापित किया।